प्रदूषण
प्रदूषण
का अर्थ है दोष युक्त,अपवित्र
एवं अशुद्ध | अपने
नाम के स्वरूप प्रदूषण न केवल
मानव जाति बल्कि समस्त प्राणियों
के लिए हानिकारक है | यह
बात आज का मानव भली -भाँति
जानता भी है और समझता भी है |
लेकिन यह ज्ञान केवल
किताबों तक और बातों तक सीमित
है , व्यावहारिक
रूप में मानव की प्रगति की
चाहत और सुख सुविधाओं की वृद्धि
की इच्छा में उसके द्वारा किये
गए नित नए प्रयोगों ने इस
प्रदूषण में दिन- प्रतिदिन
वृद्धि की है | इस
प्रदूषण की सीमा केवल धरती
ही नहीं बल्कि संपूर्ण वातावरण
(वायु , जल
, ध्वनि) सम्मिलित
है | इस विस्तार सीमा
के कारण अब प्रदूषण केवल भूमि
प्रदूषण न होकर वायु प्रदूषण
, जल प्रदूषण और
ध्वनि प्रदूषण भी है |
यदि जल दूषित है तो जल प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है | वायु प्रदूषित है तो सांस लेना ही दुर्भर हो जायेगा | शुद्ध वायु प्राणो के लिए , श्वास प्रक्रिया के लिए बहुत ही आवश्यक है। इसी तरह मिट्टी हमारी मूल भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जरूरी है | खाने - पीने के लिए अनाज , शुद्ध हवाओं के लिए पेड़ पौधे भी हमें इसी से मिलते हैं| और यदि वातावरण में शोर अधिक मात्रा में है तो यह ध्वनि प्रदूषण है जो कि मानसिक असंतुलन का कारण बनता है |
प्रदूषण का अर्थ
भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि असंतुलित है तो यह असंतुलन ही प्रदूषण है | इस असंतुलन से फसलें , पेड़ ,आदि सभी प्रभावित होते हैं |
इसके अतिरिक्त जो कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का कारण है| अतः हम कह सकते हैं कि - “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”
प्रदूषण के कारण
बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित निपटान के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा और जलया जाता है जिससे भूमि, वायु , जल , ध्वनि प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है। कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक हैं। ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी बनते हैं।
प्रदूषण के स्त्रोत
प्रदूषण के स्त्रोतों को निम्न श्रेणियों में बाँटा जा सकता है :
1.घरेलू बेकार पदार्थ,जमा हुआ पानी,कूलरो मे पड| पानी , पौधो मे जम| पानी
2. रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ
3. प्लास्टिक
4. गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि।
5. उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश ।
6. गंदा पानी
7. पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी।
8. ध्वनि।
9. ऊष्मा।
10. जनसंख्या वृद्धि
प्रदूषण के परिणाम
आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण | कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है | विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं | अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है | अपशिष्ट पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग, विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं | जैसे कि मच्छर, मख्खियाँ इत्यादि | कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती | पीने का जल भी रोगो का साधन बन जाता है | ध्वनि शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है |धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है |
प्रदूषण को रोकने के उपाय
दैनिक जीवन में कुछ छोटे बदलाव करके इसे कम करने की दिशा में योगदान कर सकते हैं।
1.बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है।
2.भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए |
3.पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें।
5.कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें ।
6.कागज़ उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह प्रदूषण का एक कारण है। डिजिटल प्रयोग अच्छा विकल्प है।
7. पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें।
8.घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
9. हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे लगाने चाहिये ताकि अम्लीय वर्षा को रोक।| ज। सके ।
10.हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। उपसंहार
उप-संहार
प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं।
यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा | न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी | प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा | जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे | जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे |
0 comments:
Post a Comment